लीजिये एक और चुनाव निकल गया, बात फिर कांग्रेस, बीजेपी, आप की ही हो रही है| मैं बात टीवी और अखबारों की नहीं कर रहा हु मैं बात कर रहा हु जितने की (https://economictimes.indiatimes.com/news/elections/delhi-mcd-election-2022-results-news-bjp-congress-aap-live-updates-7-december-2022/liveblog/96042384.cms)| कांग्रेस ने इतनी सीटें जीती, आप ने इतनी और बीजेपी ने इतनी| ऐसा नहीं की इन पार्टियों से बहुजनो को जीत नहीं मिलती| आरक्षित सीटों पर जरूर मिलती है| पर क्या सही मायने में ऐसे लोग बहुजनो का प्रतिनित्व कर पाते है| इसके लिए थोडा इतिहास देखते है और बाबा साहेब जी से अच्छा कोई नहीं होगा सीख देने वाला| पहले तो बाबा साहेब जी जैसे ज्ञाता ने खुद प्रयास किया को कांग्रेस के साथ मिल कर काम किया जाये पर समय रहते उन्हें पता चल गया और उन्होंने आर.पी.आई पार्टी बनाने की सोची | आखिर क्यों? बाबा साहेब जी भी कांग्रेस की सीट पर चुनाव लड़ सकते थे और संसद बड़े आराम से जा सकते थे| पर वे अगल उनके विरोध में खड़े हुए| बाबा साहेब जी जानते थे की कांग्रेस के साथ जा कर वे वो कल्ल्याणकारी काम सब नहीं पाएंगे जो उन्होंने बहुजनों के लिए सोचा था| बाबा साहेब जी ने अलग एक अपना, अपनी अलग पार्टी से अपने लोगों का प्रतिनिधित्व संसद में भेजने का सोचा था| ऐसा इसीलिए क्योकि पार्टी की एक विचार धारा होती है और पार्टी से संसद जाने वाला पार्टी के विचारधारा के विरुद्ध पार्टी में रहकर नहीं जा सकता| पार्टी की प्राथमिकता होती है और प्राथमिकता किसी भी पार्टी की बहुतांश पार्टी प्रमुख ही निर्धारित करते है| बाबा साहेब जी ने कहा था| मेरा कारवा मेरे जाने के बाद यही रहने देता अगर आगे नहीं ले जा सकते पर पीछे नहीं जाने देना|
आज मैं देखता हु की कई बहुजन नेता या तो कांग्रेस, या बीजेपी या फिर आप का पल्लू पकड़े हुए है| बाबा साहेब जी से क्या सीखा? और छोटे मोठे चिट्ठियां लिख कर, जय भीम का नारा लगा कर, बाबा साहेब जी के नाम पर बिल्डिंग बना कर, उनकी मुर्तिया लगा कर सोचते है बाबा साहेब का कारवाँ आगे ले जा रहे है| विधान सभा, संसद में जाने का मतलब की समाज के लिए लाभकारी नियम बनाये और जो नियम समाज के हित में ना हो उसका विरोध करे| RTI, RTE, RTF और न जाने कितने मुलभुत अधिकारों को हक़ीक़त बनाने में ५० से ज्यादा साल लग गए| जब की बहुजन जनता की पहली जरुरत थी| आरक्षण को धीरे धीरे ख़तम कर दीया जा रहा है| शिक्षा धीरे धीरे इतनी महँगी होती जा रही है| शहरों में घर और रहना मॅहगा हो चला है और गांव में सुविधावो का आभाव| इन सब का विरोध पल्लू पकड़ने वाले नहीं कर सकते|
मुझे लगता है की उदितराज ने जो काम बीजेपी के लिए किया या हो गया था वही काम राजेंद्र पाल गौतम ने किया आप के लिए| ये ऐसे कटप्पा है जो राज गद्दी पर बैठे लोगों के लिए जी जान लगा देते है और समाज के लोगों भटकाते है| बहुजनो का सही में विधान सभा, संसद में प्रतिनिधित्व भेजना है तो हम बहुजनों को बहुजनों की पार्टी को इतनी ताकत देनी होगी| पीछ लग्गू और पल्लू पकड़ने वालों को नकारना होगा| बहुजनों के नेतृत्व पर भरोसा करना होगा जो बहुजनों की बातें करें, बहुजनों के मुद्दे उनकी प्राथमिकता हो|
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