जैसे की मैं पहले बोल चूका हु की अगर समाजवादी पार्टी को छोड़ दिया जाये तो दूसरी बहुजन व वंचितों के पार्टी से बसपा के चुनाव जीत और हार में कुछ फरक नहीं पड़ता दीखता| मैं स्ट्रीम मीडिया आपको सिर्फ यही बताएगी की बसपा निचे गिर रही है| बसपा अभी भी कई सीटें निकल सकती है, संसदीय चुनाव २०१९ को देखे तो १० सीट पर जीतते हुए २७ सीटों पर दूसरे स्थान पर रही है. एक सीट पर तो करीब २०० वोटों से हारी है| यह सब बसपा के स्थानीय निष्क्रियता के कारन ही जान पड़ता है और निष्क्रियता विधानसभा चुनाव २०२२ आते आते इतनी बढ़ गयी थी की १ ही सीट जीत पायी| बसपा की सर्वजन हिताये सर्वजन सुखाये वाली सोशल इंजीनियरिंग चल नहीं पायी| बसपा ने अपना सोशल मीडिया नहीं खड़ा किया, अपने लोगों को मीडिया में प्रोत्साहन नहीं दिया (इस बार प्रयास किया था और वो चुनाव तक ही सिमित दिखा), जान संपर्क नहीं दीखता, कुछ गिने चुने कार्यक्रम के अलावा कोई कार्यक्रम नहीं सुरु किये जिससे लोगों तक बाद पहुचायी जा सके| लोकल लोग कांशीराम जी का और मायावती जी का जन्मदिन बनाने के लिए ज्यादा उत्साहित दिखते है| सोशल मीडिया और मीडिया एक ऐसा माधयम है जो लोगों से सीधा जुड़ता है और अपनी बात करने का सबसे उचित माध्यम है| इसके अलावा मुझे लगता ही की बसपा को समाज में जाने पहचाने लीडर्स को पहचान कर उन्हें अपने साथ मिलाना चाहिए|
महाराष्ट्र में भी देखे तो विधानसभा चुनाव २०१९ में दो पार्टी है जो बहुजन और वंचितों की बातें करती है और बसपा को टक्कर देती दिखती है. BVA (बहुजन विकास अघाड़ी) मेरे लिए भी एक आश्चर्य की बात है जिसे ३ सीटें मिली और हितेश ठाकुर इस पार्टी के प्रधान है, दूसरी वबा (वंचित बहुजन अघाड़ी) जिसके प्रधान है प्रकाश आंबेडकर जी | प्रकाश आंबेडकर जी के पार्टी को ४.५ % वोट मिले बल्कि बसपा को सिफर १% वोट मिले।
Ref. election commission of India site
महाराष्ट्र में जरूर बसपा और VBA को एक मजबूत गठबंधन करना चाहिए| मजबूत मेरा मतलब है लम्बा चलने वाला| दोनों पार्टियों को फोकस हो कर साथ में चुनाव लड़ना चाहिए और बसपा को प्रकाश आंबेडकर जी को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री सपोर्ट करना चाहिए|
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