भारत के लोगों को यह समझना होगा कि अंबेडकरवाद सिर्फ एक नाम नहीं है। अम्बेडकरवाद एक धारा है। आज भी मुख्यधारा के पत्रकार और बुद्धिजीवी अम्बेडकरवाद को एक नाम अम्बेडकर मानते हैं और अम्बेडकर को मानने वालों को एक नेता (विशिष्ट दलित नेता) का अनुयायी माना जाता है।
मुख्य रूप से राजनीति में हमने 3 भागों पर विचार किया है, एक दक्षिणपंथी (अनुयायी को भाजपा माना जाता है), वामपंथी (अनुयायी को भाकपा, सीपीएम माना जाता है) और कांग्रेस मध्यमार्गी। लेकिन मेरे हिसाब से एक और तबका है जिसे अम्बेडकरवादी भी कहा जाता है जो मध्यमार्गी से ऊपर है। मैं मिडसेंटरी से ऊपर क्यों कह रहा हूं क्योंकि यह ट्रेंडी है और मिडसेंटरी के सभी मानदंडों को पूरा करता है। इसके अलावा अम्बेडकरवाद ने बहुत स्पष्ट दिशा-निर्देश लिखे हैं। अम्बेडकर द्वारा लिखित संविधान को आसानी से डिकोड किया जा सकता है।
लोगों को समझाना होगा फरक आंबेडकर का अम्बेडकरवाद से| बीजेपी, कांग्रेस, आप और मेरे ख्याल से स.पा और आर. एल. दी जैसी पार्टिया भी आंबेडकर एक नाम को अपना सकती है पर अम्बेडकरवाद को नहीं| आंबेडकरवाद से बानी पार्टियो में राष्ट्रीय लेवल पर बी. यस.पी ही नज़र आती है|
रामचरित मानस विवाद से पहले भी कई लोगों ने अंबेडकर का हवाला दिया था. जैसा कि जीतन मांझी ने कहा, "हिंदू समुदाय सबसे खराब समुदाय है और इसलिए, मैंने अपना धर्म बदल लिया है। जब मैं मरूंगा, तो मैं बौद्ध बन जाऊंगा।" (संदर्भ Jitan Ram Manjhi hurls abuses against Brahmins; BJP, RJD hit back | Business Standard News (business-standard.com), झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि "आदिवासी कभी हिंदू नहीं थे और कभी नहीं होंगे" (संदर्भ Adivasis were never Hindus, they never will be: Jharkhand CM | India News,The Indian Express), राजेंद्र पाल गौतम आप नेता ने 22 प्रतिज्ञाएं लिए। लेकिन क्या वे अम्बेडकरवाद का पालन करते हैं? मेरे अनुसार नहीं, एक बड़ा नहीं। वे केवल राजनीतिक लाभ लेने के लिए बयानबाजी कर रहे हैं।
मैं फिर भी कहूंगा कि यह भी सही है कि इसकी शुरुआत कहीं से हुई है, आज उन्होंने अंबेडकर की एक पंक्ति उद्धृत की है, कल वे दूसरी पंक्ति उद्धृत करेंगे और अंत में उन्हें पूरे अंबेडकर का अनुसरण करेंगे। सामाजिक सुधर धीरे धीरे ही होता है| आंबेडकर को पढ़ना और पढ़ाना बहुत जरुरी हो गया है| ७० साल ही सही, नेताओ को आंबेडकर की कीमत पता चली कल अम्बेडकरवाद की भी चलेगी| मैं जागरूक लोगों से विनती करता हु की ऐसे ही आंबेडकर को पढ़ते रहे और पढ़ते रहे| जब लोगों को उनके फायदे दिखेंगे तो वो आपको जरूर सुनेगे| आंबेडकर से ही अम्बेडकरवाद को बल मिलेगा और इसकी शुरुआत होगी|
Comments
Post a Comment