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बहुजन राजनीती में सेंघमारी का दौर

क्या बहुजनों की राजनीतिक कभी ऐसे रूप में उभर पाएगी कि उनके बिना न कोई कदम, न कोई फैसला और न कोई कानून भारत देश में कोई सोच भी पाए| मुझे लगता है की मुस्लिमों और बहुजनों की हालत एक जैसे ही है| आज के तारीख में किसी भी राज्य में हम नहीं कह सकते की इन दोनों समुदायों की जवाब देहि, साझीदारी है| मुस्लिमों की बात करें तो आज़ादी के बाद से कोई भी संगठन बजबूती से नहीं रहा इनके पास, वही बहुजनों की बात रखने के लिए बाबा साहेब जैसे नेता थे और बाद में भी कई नेता आये| आज कल की बातें करें तो AIMIM दिखती है मुस्लिमों की बात रखती हुयी और बहुजनों की क्या बात हर राज्य में दो या तीन पार्टियां तो मिल ही जाएगी जो दम भारती है बहुजनों की बात रखने की| गिनी चुनी ही पार्टिया है जो राष्ट्रीय स्तर पर बात रख पाती है| 

क्योकि किसी भी बहुजन पार्टी का अब वोट पर पकड़ नहीं रही तो सेंघमारी तो करनी पड़ेगी| चाहे बसप हो या कोई और बहुजन पार्टी इनके पास कोई भी अपना मुद्दा नहीं बचा है या कोई अपना मुद्दा उठाना नहीं चाहते| अब सेंघमारी की बात करे तो बसप का यह हाल हो गया की मायावती जी को अपने जन्मदिन पर EVM पर बयांन देना पड़ा और EVM छेड़छाड़ के खिलाफ बोलना पड़ा| आखिरकार वामन मेश्रामजी के मुद्दे पर सेंघमारी जो करनी थी| मायावती जी के कमजोर, कमजोर ही कहूंगा आज की तारीख में, संघटात्मक पकड़ या सोच के वजह से वामन मेश्रामजी हो, कुशवाह जी हो या कई और लोग जिन्होंने बसप में सेंघमारी पहले से ही कर राखी है| आज कल समाजवादी पार्टी में मौर्य जी भी रामचरित मानस में नाम पर बहुजनों के वोट पर सेंघमारी कर रहे है| बिहार के शिक्षा मंत्री पहले ही कर चुके है| 

बसप को समझाना होगा की बहुजनो का वोट बसप की बपौती नहीं है| सेंघमारी कबकी सुरु हो चुकी है और बीजेपी की सेंघमारी तो शायद बसप की समझ में भी नहीं आ रही होगी| जनता चाहे बहुजनों की हो या किसी और रूप में उसी के साथ हो जाती है जो उनकी बात करेंगे| मुरुम जी तो पहले से ही बीजेपी का आदिवासि चेहरा बानी हुयी है और उनका भाषण जो की जेलों में बंद आदिवासीओ पर था, काफी वायरल हो चूका है| और मायावती जी सामाजिक तौर पर उनकी तारीफ कर सकती है और राजनैतिक विरोधी होने के नाते मायावती जी के पास कोई इसका जवाब नहीं है और नहीं काट|  राजेंद्र पल गौतम को नहीं भूलना चाहिए जो AAP के लिए सेंघमारी कर रहे है| 

कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा के बाद और मल्लिकार्जुन खरगे जी को प्रेजिडेंट बनाने के बाद वैसे भी बहुजन के प्रति उनकी राजनीती स्पस्ट हो रही है| मैंने कई बहुजन रिपोर्ट्स को उनके साथ देखा है जोकि छोटी मोती सेंघमारी नहीं एक बहुत बड़ा समाज समझ लीजिये सेंघमारी के निशाने पर है| सेंघमारी के खेल में जिग्नेश मेवानी, कहनैया कुमार, उदितराज का बहुत बड़ा हस्त होगा| 

मायावती जी, वामन मेश्राम जी, अखिलेश और कई आपस में सेंघमारी करते रहे, बड़ा खेल तो बीजेपी और कांग्रेस कर रहे है| 


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