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I.N.D.I.A गठबंधन और मायावती




 फिछले कुछ महीनों से बड़े जोरो शोरो से मीडिया में खबर आयी थी की मायावती जी या कहे BSP I.N.D.I.A गठबंधन में आणि वाली है, कई लोगों से बातें चल रही है और मीडिया के लोगों ने तो इसे मायावती जी का BJ party को मात देने की तुरुप की चाल बताई। फिर एक खबर आती है की मायावती जी के किसी नजदीकी पर ED की नज़र है| जिससे चित भी मेरी और पट भी मेरी वाली बात लगती है, कांग्रेस को कहने में आएगा की देखिये BJ party को हारने के लिए हमने तो शुरुआत की और I.N.D.I.A 

 गठबंधन को फायदा भी मिलता और अगर BSP आती नहीं तो कहते की ED से डर कर BSP नहीं आयी| 

सिर्फ तीन पार्टियों की बातें करें BJP, कांग्रेस और BSP, सब का अपना अपना वोट बैंक है और कांग्रेस जो की बीजेपी को सीधे हारते हुए नहीं दिखती, BSP के वोट बैंक पर नज़र है| मेरी नज़र में कांग्रेस अपनी लाचारी और नाकामी छिपाने के लिए सब कर रही है| कांग्रेस BJP की तोड़ नहीं ला पा रही है, देश की जनता को अपने विचारधारा और अपने पार्टी से जोड़ने में नाकाम है| मैंने अभी कुछ दिनों में ही पांच छ: मैसेज देखे जहा चिंता जताई गयी की अब BJP को कैसे हराया जाये या भी BSP तो ख़तम या मायावती जी ने ठीक नहीं किया| मुझे लगा कांग्रेस जो करना चाहती थी वो कुछ हद तक तो पूरा होता दिखा| इसीलिए मुझे येह लिखने की जरुरत पड़ी| 

क्या BSP सिर्फ UP तक सिमित है? अगर BSP या मायावती जी का ग्राफ इतना गिर गया तो उनकी और उनके पार्टी की इतनी बातें क्यों? उनको I.N.D.I.A गठबंधन में मिलाने की इतनी कोशिशे क्यों, उन्हें इतनी तहोजियत देने की जरुरत क्यों?

असल में कांग्रेस पहले भी वैसे ही थी, आज भी वैसे ही है उनको न मायावती जी से कुछ लेना देना है और न BSP से कुछ लेना देना है, उनको लेना देना है BSP के वोटरों से, वो BSP के वोटरों को अपने तरफ खींचना चाहती है| इसीलिए BSP के वोटरों से निवेदन है की इस झांसे में न आये और पूरी तरह से BSP के साथ रहे| 

दूसरी बात मायावती जी की हर न्यूज़ कांफ्रेंस हर TV चैनलों पर आती है, क्या कभी आपने मायावती जी के साथ किसी कांग्रेस वाले की न्यूज़ देखी या फोटो देखी इस सिलसिले में?

सारा प्रोपोगंडा सिर्फ और सिर्फ दलित और वंचितों के वोटर्स के लिए किया गया था, कांग्रेस को पता है ये लोग छोटे से लालच के लिए और जल्दी बहकावे में आ जाते है| 

BSP का या मायावती जी का I.N.D.I.A गठबंधन में न जाने से क्या होगा और क्या हो सकता है ये अभी बहस का विषय हो सकता है| 

BSP के अलावा अकाली दाल, बीजू जनता दल, BRS, India national lok dal, All India Majlis-e-Ittehadul Muslimeen जैसे पार्टिया है जो किसी अललाइंस का हिस्सा नहीं है.

मुझे बाबा साहेब जी का एक वाक्य याद है, ५ दिसंबर १९५६, सुबह उठ कर हाथ मुँह धो कर बहार आये और कुछ देर बुद्ध की मूर्ति के सामने रुके और श्रद्धा से हाथ जोड़ कर कुछ देर खड़े रहे| करीब दोपहर के १२ बज चुके थे बाबा साहेब लॉन में बैठे थे, कुछ थके से लग रहे थे और तभी बहार कुछ शोर गुल सुनाई दिया| लोग बाबा साहेब जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे| बाबा साहेब ने उन्हें अंदर आने की आज्ञा दी| लोग अपने महानायक को देखने के लिए आतुर थे और उनके जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे| बाबा साहेब अपनी पालतू कुटिया "मोहिनी" के साथ बैठे हुए थे| थोड़ी देर बाद दलित वर्ग संघ दिल्ली,अध्यक्ष भगत अमिनचंद, गांधी टोपी, कढ़ाईदार कुरता पहने आये| बाबा साहेब के पैर छुए और कहा आशीर्वाद लेने आया हु| बाबा साहेब बोले तुझे पहले से ही बहुत आशीर्वाद मिला हुवा है और अब और क्या चाहिए| बाबा साहेब के चश्मे से उसे ऊपर से निचे तक देखा और कहा जैसे एक कुत्ता मालिकों की रोटी पर पलता  है, उनके दिए कपडे पहनता है, उनके दिया आराम लेता है पर कौन सा खाना खाना है, कौन सा कपड़ा पहनना है और किस का और कब आराम चाहिए यह कुत्ता नहीं बताता और नाही बता सकता है| उसके जाने के बाद बाबा साहेब नानकजी से बोले ये लोग अपनी रोटी और फेकि रोटी में फर्क कब समझेंगे|

कांशीराम जी ने भी कांग्रेस से गठबंधन की जो शर्ते राखी थी राजीव गाँधी जी नहीं मान पाए| अपने आपको निचा रख कर, स्वाभिमान को दबाना कभी गठबंधन नहीं हो सकता | मायावती जी ने भी सही निर्णय लिया है| मेरा पूरा समर्थन है|  

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