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Showing posts from November, 2024

महाराष्ट्र-२४ चुनाव और बहुजनो के लिए उसके सबक

जब दूसरी तरफ असीमित धन, प्रचुर संसाधन और पूरी व्यवस्था आपके खिलाफ हो, तो उनके विरुद्ध खड़े होना निश्चित रूप से आसान नहीं होता। यह बात महाराष्ट्र चुनाव के बाद और भी स्पष्ट हो गई है। कांग्रेस, एनसीपी, और शिवसेना जैसी बड़ी राजनीतिक पार्टियां भी मुँह के बल गिर गईं। जब सत्ता और व्यवस्था का झुकाव किसी एक पक्ष की ओर हो, तो प्रतिद्वंद्वी दलों के लिए परिस्थितियाँ और भी कठिन हो जाती हैं। यह चुनौती और बढ़ जाती है जब आप उन दबे-कुचले, वंचित, और बहिष्कृत लोगों के लिए लड़ाई लड़ रहे होते हैं, जिन्हें समाज में पहले ही पीछे धकेल दिया गया है। ऐसे में भारतीय समाज में दलित राजनीति की चुनौतियों और संघर्षों का मुद्दा सामने आता है। मायावती जी के नेतृत्व में बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने इन वर्गों के लिए अपनी आवाज़ बुलंद की है। लेकिन अक्सर आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है। अब वो लोग जो #BSP पर विचारधारा से भटकने का आरोप लगाते थे, उन्हें भी यह स्वीकार करना होगा कि संघर्ष का मैदान और उसकी कठिनाइयाँ क्या होती हैं। आलोचकों की वास्तविकता राजनीति में आलोचना करना आसान है, लेकिन जमीनी हकीकत को समझना और बदलाव के लिए प्रयास...

दलित इतिहास में 12 नवंबर

12 नवंबर दलित इतिहास में महत्वपूर्ण महत्व रखता है क्योंकि यह प्रथम गोलमेज सम्मेलन की शुरुआत का प्रतीक है, जो 12 नवंबर, 1930 से 13 जनवरी, 1931 तक चला था। यह सम्मेलन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण था, जहाँ एक प्रमुख भारतीय नेता डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने दलित वर्गों, जिन्हें अछूत भी कहा जाता है, के लिए अलग निर्वाचिका की माँग की थी। डॉ. अंबेडकर की माँग एक अधिक समतापूर्ण समाज के लिए उनके दृष्टिकोण दर्शाती थी, जहाँ हाशिए पर पड़े समुदायों को राजनीतिक प्रक्रिया में आवाज़ मिल सकती थी। उनका मानना ​​था कि अलग निर्वाचिका दलित वर्गों को अपने प्रतिनिधि चुनने के लिए एक मंच प्रदान करेगी, जिससे सरकार में उनकी भागीदारी सुनिश्चित होगी। हालाँकि सम्मेलन अंततः अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफल रहा, लेकिन इसने दलित अधिकारों और सशक्तिकरण के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। इसे कई लोग रूढिवादीओ पर एक सशक्त प्रहार भी मानते है|  सामाजिक न्याय और समानता के लिए डॉ. अंबेडकर की अटूट प्रतिबद्धता दलित कार्यकर्ताओं और नेताओं की पीढ़ियों को प्रेरित करती रही है।  प्रमुख प्रतिभागी और चर्च...