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Showing posts from November, 2022

BSP अभी भी कम नहीं है

2017 और 2022 में जब मैं अपने आस-पास UP के क्षेत्र के लोगों से चुनावी सर्वे और जमीनी हकीकत जानने के लिए बात करता था और मैं जानता था कि जिन लोगों को थोड़ी सी भी राजनीतिक समझ होती है, वे बसपा के संगठन ढांचे की तारीफ करते हैं | 2017 से पहले जाति समावेशन और धनबल के संयोजन ने बसपा को कई जीत दिलाई। मायावती जी के कई सामाजिक कार्यों के बावजूद, विपक्षी दलों ने उनके कुछ कार्यों की जमकर निंदा की, जैसे कि अपनी खुद की मूर्ति लगवाना। यह बात विपक्षियों को पता चल गई थी और उन्होंने इसी के जरिए अपने उम्मीदवार चुनने शुरू कर दिए थे। उम्मीदवार का चयन करने के लिए धन शक्ति अभी भी एक महत्वपूर्ण कारक है। नीचे दिए गए ग्राफ से स्पष्ट है कि भाजपा उम्मीदवार की औसत संपत्ति 61 लाख से बढ़कर 750 लाख हो गई और बसपा के लिए यह 86 लाख से बढ़कर 480 लाख हो गई। मेरे हिसाब से BSP के लिए अभी भी उम्मीद है की बहुत मजबूती से वापसी कर सकती है| 2017 में बीजेपी के जीते 30 विधायक बसपा के थे. बसपा छोड़ने वालों की संख्या हमेशा किसी भी अन्य पार्टी को छोड़ने वालों की संख्या से अधिक होती है। आप देखेंगे कि बसपा छोड़ने वालों का जीत का अनु...

वोट का रास्ता बुद्धा और बाबा साहेब से होते हुए जाता है

 हम बहुजनो और वंचितों के लिए बुद्धा और बाबा साहेब किसी देवता से कम नहीं है और हम जाने अंजाने उनके लिए अंध भक्त बन जाते है| इसी का फायदा ले कर पहले भी और अभी भी कई लोगों के लिए यह के राजनैतिक हथकंडा है और वो जानते है की हमारे वोटों का रास्ता बुद्धा और बाबा साहेब से होते हुए उनके झोली में जा कर गिर जाता है| मुझे राजेंद्र पल गौतम भी इसके उपवाद नहीं लगते | मैंने पहले भी अपनी मंशा जाहिर की थी की क्या राजेंद्र पल गौतम दूसरे उदितराज तो नहीं? अब जब AAP पार्टी के प्रमुख प्रचारक के तौर पर उनका नाम आता है तो बहुत कुछ समझने वाली बात है| क्या यह सोची समझी चाल है, क्या केजरीवाल को पहले से अंदेशा हो चला था की अब बहुजन वोट उससे छिटकते जो रहे है, क्या राजेंद्र पाल  गौतम को बहुजन व वंचितों को आकर्षित करने के लिए हीरो बनाया गया, इससे एक और बात समझने वाली है AAP नहीं तो कौन किस के लिए राजेंद्र पल गौतम को हीरो बनाया गया BJP या BSP? पहले कांग्रेस, फिर NCP, फिर BJP और अब AAP हमारे लोगों को हीरो बना कर बहुजन व वंचितों के वोटों को लेते और ले रहे है| क्या हम धार्मिक और राजनैतिक परिपक्वता को दिखा सकते ह...